पति पत्नी किसी पर्यटक स्थल की सैर को रवाना हुए थे। अभी उन्हें घर से निकले दो घंटे ही हुए होंगे कि बड़े भाई ने फोन कर हाल–चाल पूछा। साथ में यह भी कहा कि फोन करते रहना।
‘‘ठीक है भाई। ’’ इतना कह छोटे ने फोन काट दिया।
सफर में वह पत्नी से बातें करने में इतना मशगूल हुआ कि फोन करना ही भूल गया।
बड़े भाई का ही फोन आया.‘‘कहाँ तक पहुँच गए…कोई परेशानी तो नहीं? अपना ख्याल रखना…’’
‘‘ठीक है भाई…हम अपना ख्याल रखेंगे।’’छोटे ने जवाब दिया।
उसके फोन बंद करते ही उसकी पत्नी ने कहा, ‘‘ भाई साहब तो आपको बच्चा समझते हैं……..बार -बार नसीहत देते हैं….सफर का सारा मजा किरकिरा कर दिया…लाओ, मुझे फोन दो। मैं स्विच ऑफ करती हूँ।’’ और उसने वैसा ही किया।
घर पर बड़ा भाई बार–बार फोन मिला रहा था। पर, फोन न मिल पाने के कारण बेचैन हुए जा रहा था। उसकी बेचैनी देख पत्नी ने कहा,‘‘ क्यों पागल हुए जा रहे हो…चिंता छोड़ो और आराम से सो जाओ। ’’
‘‘कैसे सो जाऊँ। पता नहीं वे किस परिस्थिति में होंगे! फोन मिल ही नहीं रहा।’’ भाई ने बार–बार फोन मिलाते हुए कहा।
‘‘…. सो जाओ ना…और भी है, इस घर में।’’ पत्नी ने खीझ भरे शब्दों में कहा।
‘‘मैं बड़ा हूँ ना…’’बड़े भाई ने एक ठंडी आह भरते हुए कहा।
–0–
लघुकथा.com
अप्रैल-2018
देशबड़ा हूँ ना Posted: February 1, 2015
© Copyright Infirmation Goes Here. All Rights Reserved.
Design by TemplateWorld and brought to you by SmashingMagazine