मालिक के केबिन से निकलकर नंदन जब बाहर निकला तो उसकी छाती घमंड से चौड़ी थी।
आज कंपनी के मालिक ने उसकी चिरौरी की थी हड़ताल ख़त्म करने के लिए पर वो टस से मस नहीं हुआ था। उसे डबल बोनस हर हाल में चाहिए, अगर नहीं तो हड़ताल जारी।
केबिन से बाहर निकलते ही उसके पास श्याम भागते हुए था, लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोला था- नंदन बाबू कुछ बीच रास्ता निकल के हड़ताल बंद कर दो घर पर बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं।
नंदन हेकड़ी से बोलते हुए – कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता हे, वहाँ से निकल गया था।
घर पर उसकी बीवी इन्तजार कर रही थी, बेटे को ज्वर 102डिग्री पहुँच गया है। नंदन के आते ही उसे बताती है।
नंदन आनन फानन उसे ऑटो में लेकर हस्पताल भागा।
रिशेप्सन काउंटर पर नर्स ने कहा- बच्चा एडमिट नहीं हो सकता ।
नंदन ने पूछा-;क्यों ?’
नर्स – हास्पिटल में हड़ताल हे, कोई डॉक्टर नहीं हे।
नंदन को हड़ताल का अर्थ समझ में आने लगा था।
-0-